मोदी ने इसरो में दिये भाषण से देशवासियों का दिल जीता
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आज भारत सम्पूर्ण विश्व में अंतरिक्ष शक्तियों में अपना वजूद बना चुका है। इस चन्द्रयान-3 के स्थापित होने से भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक मुख्य देश की श्रेणी में में शामिल होना प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व एवं गौरव का विषय होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसरो) द्वारा मानव निर्मित अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-3 के चन्द्रमा पर सुरक्षित लैंडिग करने से चंद्रमा पर मानव और वैज्ञानिकों की मौजूदगी में पड़ताल करना संभव हो सकेग। यह हमारे देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।
अब भारत दुनिया में चंद्रमा पर लैंडिंग करने वाला चैथा देश बन गया है। इससे पहले यह कीर्तिमान अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन ने स्थापित किया था। चंद्रयान-3 के स्थापित होने से चंद्रमा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी वहीं चंद्रमा पर मानव मिशनों की योजना, चंद्रमा पर पानी की खोज, चंद्रमा पर चट्टानों और मिट्टी के नमूने एकत्र करने में मदद, भविष्य में चंद्रमा पर मानव मिशनों की योजना बनाने में वैज्ञानिकों को सहयोग मिलेगा। इसके अलावा चट्टानों और मिट्टी के नमूनों से प्राप्त जानकारी का उपयोग करके चंद्रमा के इतिहास और भूविज्ञान का अध्ययन करने में हमारे देश के वैज्ञानिकों को मदद होगी।
चन्द्रयान-3 का चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग करना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि है।
शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में इसरो वैज्ञानिकों की टीम से मुलाकात कर चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर इसरो टीम को बधाई देते हुए ऐलान किया कि 23 अगस्त को जब भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया, उस दिन को अब राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि चंद्रमा के जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने अपने पदचिन्ह छोड़े हैं, वह अब तिरंगा प्वाइंट कहलाएगा। तिरंगा प्वाइंट भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा, ये तिरंगा प्वाइंट हमें सीख देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती है। वहीं प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस स्थान पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा है, उस स्थान को ’शिवशक्ति’ के नाम से जाना जाएगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में महत्वपूर्ण बातों को जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने इसरो मुख्यालय पर संबोधित करते हुए कहा कि चंद्रयान-3 में महिला वैज्ञानिकों ने भी अहम भूमिका निभाई है। यह शिवशक्ति प्वाइंट आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा कि हमें विज्ञान का उपयोग मानवता के कल्याण के लिए ही करना है। मानवता का कल्याण हमारी सर्वोच्य प्रतिबद्धता है। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि आज मैं एक अलग ही खुशी महसूस कर रहा हूं, ऐसे मौके बहुत कम आते हैं। उन्होंने कहा कि मैं दक्षिण अफ्रीका में था, लेकिन मेरा मन पूरी तरह से आपके साथ ही लगा हुआ था। इस मिशन की सफलता पर प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि हर भारतीय को लग रहा था कि यह विजय उसकी अपनी है। हर भारतीय को लग रहा था जैसे वह खुद एक बड़े एक्जाम में पास हो गया है। आज भी बधाइयां दी जा रही हैं, संदेशे दिए जा रहे हैं और ये सब मेरे देश के वैज्ञानिकों ने मुमकिन बनाया है। मैं आपका जितना गुणगान करूं, कम है, जितनी सराहना करूं, कम है।
उन्होंने कहा कि मेरी आंखों के सामने 23 अगस्त का वह दिन, वह एक-एक सेकंड बार-बार घूम रहा है। जब टच डाउन कंफर्म हुआ तो जिस तरह यहां इसरो सेंटर में, पूरे देश में लोग उछल पड़े, वह दृश्य कौन भूल सकता है। कुछ स्मृतियां अमर हो जाती हैं। वह पल अमर हो गया। उन्होंने भारत की असली ताकत का अहसास कराते हुए कहा कि भारत के ज्ञान और विज्ञान का खजाना गुलामी के कालखंड के नीचे दबा हुआ है। आजादी के इस अमृत काल में हमें उस संदूक को खोदना होगा। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ ही वर्षों में भारत का अंतरिक्ष उद्योग 8 अरब डॉलर से बढ़कर 16 अरब डॉलर का हो जाएगा।
इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में मिशन में शामिल इसरो टीम की महिला वैज्ञानिकों से मुलाकात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा देश के वैज्ञानिक ’मेक इन इंडिया’ को चांद तक ले गए। उन्होंने इस अवसर कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने लेंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का परीक्षण करने के लिए इसरो अनुसंधान सुविधा में एक कृत्रिम चंद्रमा बनाया। लैंडर का सफल होना तय था क्योंकि चंद्रमा पर जाने से पहले वैज्ञानिकों ने कई परीक्षण पास किए थे। वैज्ञानिकों की प्रंशसा करते हुए मोदी ने कहा कि आपने एक पूरी पीढ़ी को जागृत किया है और उन पर गहरी छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि ये भारत है जो इनोवेटिव और यूनिक तरीके से सोचता है। यह वह भारत है। जो अंधेरे क्षेत्रों में जाता है और प्रकाश फैलाकर दुनिया को रोशन करता है।
प्रधानमंत्री ने वहां उपस्थित विधाथियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के शास्त्रों में जो खगोलीय सूत्र हैं, उन्हें वैज्ञानिक रूप से सिद्व करने के लिए, नए सिरे से उनके अध्ययन के लिए नई पीढ़ी आगे आए। ये हमारी विरासत के लिए भी जरूरी है और विज्ञान के लिए भी जरूरी है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि विज्ञान और भविष्य में विश्वास करने वाले दुनियाभर के लोगों में भारत की इस उपलब्धि को लेकर उत्साह है। प्रधानमंत्री ने इससे पूर्व चन्द्रयान-3 लैंडिग के अवसर पर भी कहा था कि हम आज अंतरिक्ष में एक नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं। इससे हर घर में उत्सव शुरू हो गया है। हृदय से मैं भी अपने देशवासियों के साथ अपने परिवारजनों के साथ इस उमंग और उल्लास से जुड़ा हुआ हूं।
मैं टीम चंद्रयान को, इसरो को और देश के सभी वैज्ञानिकों को जी-जान से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। जिन्होंने इस क्षण के लिए वर्षों से इतना परिश्रम किया। हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम से भारत उस दक्षिणी घ्रूव पर पहुंचा है, जहां आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैज्ञानिकों से मिले और उन्होंने भारत के लिए इन क्षणों को उपलब्धि भरा कदम बताया। मोदी ने कहा जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं तो गर्व होता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्र जीवन की चेतना बन जाती हैं। यह पल अविस्मरणीय है। यह क्षण अभूतपूर्व है। यह क्षण विकसित भारत के शंखनाद का है। यह क्षण नए भारत के जयघोष का है।
यह क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है। यह क्षण जीत के चंद्रपथ पर चलने का है। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि यह क्षण देश की 140 करोड़ धड़कनों के सामथ्र्य का है। यह क्षण भारत की नई ऊर्जा, नई चेतना का है। यह क्षण भारत के उदीयमान भाग्य के आह्वान का है। मोदी ने कहा हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार हुआ देखते है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के वैज्ञानिकों की प्रंशसा कर जो हौसला बढाया है निश्चित रूप से देश का विज्ञान और अधिक समद्ध होगा, इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं है।
-डा. वीरेन्द्र भाटी मंगल ( ये लेखक के अपने विचार हैं)